सारा समय न्यूज डेस्क
ऊंचाहार रायबरेली। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ऊंचाहार की सरकारी सेवाएं खाऊ कमाऊ नीति का शिकार होती जा रही हैं।
भले ही सरकार हर गरीब को निशुल्क स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करवाने का दावा कर रही हों लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है।
कमीशन के चक्कर में सीएचसी के डॉक्टर मरीजों को बाजारी दवाएं खरीदने पर मजबूर कर रहें है।
बात की जाए प्रसव के मामलों की तो तो प्रसव के उपरांत पहले तो तीमारदारों से 1000 रुपए से लेकर 2000 रुपए तक की अवैध धन उगाही की जाती है और बाद में डॉक्टर साहब लगभग 2000 से 3000 रुपए की लागत वाली बाहरी दवाओं का पर्चा थमा देते हैं ।ये दवाएं एक चिन्हित मेडिकल स्टोर के अलावा कहीं भी उपलब्ध नहीं होती ,ये वही मेडिकल स्टोर है जहां से डॉक्टर साहब का कमीशन फिट होता है।
बात करें जननी सुरक्षा योजना की तो योजनान्तर्गत लाभार्थियों को दिए जाने वाले मिड डे मील में भी मानकों को दरकिनार करके मरीजों को भोजन आदि परोसा जाता है।
….आशाओं से भी हो रही है अवैध धन उगाही
ऊंचाहार रायबरेली।मरीजों को छोड़िए साहब ऊंचाहार सीएचसी में आशाओं से भी अवैध धन उगाही का मामला भी खासा चर्चा में है।
जानकारी के अनुसार कोरोना काल में कोरोना भत्ता के रूप में आशा बहुओं को दिए जाने वाले प्रति माह 500 रुपए भत्ता को आशाओं को दिए जाने के लिए 2000/आशा की दर से अवैध धन उगाही की जा रही है ।आशाओं की माने तो अप्रैल 2021 से अब तक लगभग 12000 रुपए प्रति आशा का भुगतान होना हैं ।ऊंचाहार की कुल 126 आशाओं से यदि 2हजार रुपए प्रति आशा से वसूली होगी तो लगभग 2.5लाख रूपये की भारी भरकम रकम तैयार होगी ।
यही नहीं राज्य सरकार से आशाओं को मिलने वाली 750 रुपए की रकम भी लंबे समय से रोकी गई है ,यही रकम अब जनवरी से 1500 प्रति आशा लागू होना बताया जा रहा है।
यानी सीएचसी में हर तरफ भ्रष्टाचार ही भ्रष्टाचार ।
अब ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि क्या भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने का दम भरने वाली बीजेपी सरकार ऐसे जिम्मेदार भ्रष्टाचारियों पर कार्यवाही का चाबुक चलाते हैं या इसी तरह भ्रष्टाचार की जड़ें लगातार चारो ओर फैलती रहेंगी।